पं संजय शर्मा
दस वर्ष से धार्मिक अनुष्ठान करते रहे है गुरु परम्परा अनुसार सभी अनुष्ठान वैदिक पद्धति से करते है यज्ञ प्राण प्रतिष्ठा ग्रह प्रवेश विवाह आदि सभी प्रकार के अनुष्ठान हमारे द्वारा कराये जाते है
सम्पर्क सुत्र :- 8966916574
पं संजय शर्मा
दस वर्ष से धार्मिक अनुष्ठान करते रहे है गुरु परम्परा अनुसार सभी अनुष्ठान वैदिक पद्धति से करते है यज्ञ प्राण प्रतिष्ठा ग्रह प्रवेश विवाह आदि सभी प्रकार के अनुष्ठान हमारे द्वारा कराये जाते है
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ज्योतिषशास्त्र के नियमानुसार राहु एवं केतु के मध्य सातो ग्रहों के एक ओर आ जाने से जन्मपत्रिका मे असंतुलन की उपस्थिति रहती है जन्मपत्रिका मे राहु केतु की नैऋत्य दिशा मानी गयी हैं जो कि पितरों के स्थान का प्रतिनिधित्व करती है यही कारण है कि उज्जैन मे पित्र मोक्ष तीर्थ होने से कालसर्पयोग शांति का विधान है!
जो भारत वर्ष में सर्वप्रथम स्थान उज्जैन है और दूसरा नाशिक माना गया है !
स्कन्द पुराण में अवंतिका खंड के अनुसार सभी तीर्थों में सर्वश्रेष्ठ तीर्थ उज्जैन नगरी है ! जहाँ विराजते भूतनाथ भगवान राजाधिराज महाकाल जो कि पृथ्वी का नाभिस्थल है यहाँ काल की गणना का प्रमुख स्थान है उज्जैन में सिद्धवट तिर्थ भी कहा जाता है जहाँ भगवान कार्तिक जी ने तारकासुर का वध किया था ओर उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई भगवान श्री कृष्ण ने महर्षि सांदीपनी आश्रम में विद्या अध्यन किया उज्जैन में भगवान राम ने अपने पिता का श्राद्ध क्षिप्रा नदी के रामघाट पे किया
शास्त्रों के अनुसार राहु के अधिदेवता काल है और प्रत्याधिदेवता सर्प है सर्पाकार आकृति मे राहु को मुख ओर केतु को पूंछ कहा गया है इस प्रकार से इस योग को कालसर्पयोग कहते है यह योग शुभ या अशुभ इस का पता तो ग्रहों की आंतरिक स्थिति पर निर्भर करता है इस योग के अशुभ प्रभाव से व्यक्ति के जीवन मे नाकारत्मक प्रभाव डालता है कालसर्पदोष होने पर व्यक्ति को निसंतान होना या संतान उत्पत्ति मे विलम्ब होना कर्म के अनुसार कार्य ना मिलना मानशिक चिंता दुर्घटना शारीरिक हीनता जीवन मे निराश आदि स्तिथि बन जाती है कालसर्प दोष निर्वाण के लिये संपर्क करे
गणशे पूजन ,दुर्गा पाठ, मंगलभात पूजन, कालसर्प पूजन,ग्रह वस्तु, रूद्राभिषेक,महामृत्युंजय जप,नक्षत्र शांति, मूल शांति, देव प्रतिष्ठा, यज्ञ आदि कार्य विधिपूर्वक सम्पन्न कराये जाते है
!!कालसर्प दोष !!
जातक की जन्मपत्रिका मे राहु केतु के दुष प्रभाव से कालसर्पयोग बनता है ! कालसर्प दोष के लक्षण जैसे कि जातक अनेक परेशानियों से ग्रसित रहता है और कोई भी कार्य या व्यापार मे उन्नती प्राप्त नही कर पाता है मन हमेशा विचलित रहता है !!
!!मंगलभात पूजा!!
गल ग्रह यदि जन्मपत्रिका के लग्न चतुर्थ भाव सप्तम भाव अष्टम भाव वा द्वादश भाव मे होतो जन्मपत्रिका को मांगलिक कहा जायेगा ! ऐसा होने पर जातक को विवाह भी मांगलिक स्त्री या पुरुष से ही करना चाहिए उसी प्रकार सूर्य पुत्र शनि देव यदि जन्मपत्रिका के लग्न चतुर्थ भाव सप्तम भाव अष्टम भाव या द्वादश मे हो या दृष्टि होने पर जन्मपत्रिका से मांगलिक योग का परिहार होता है ! स्कंध पुराण मे अवन्तिका खंड के अनुसार महाकाल वन मे पापो से शुद्धचित्त स्वर्गलोक मे प्रतिष्ठित होता है वे जो पृथ्वी पुत्र अंगारक देव मंगलनाथ भगवान है जिनकी पूजन व मोक्षदायनी माँ शिप्रा के दर्शन करने से सभी तीर्थों का फल प्रदान होता है!! मंगल दोष होने के लक्षण विवाह ना होना विवाह में विलंब होना जल्दी क्रोधित होना चिड़चिड़ापन आदि लक्षण है!! मंगल दोष निवारण अवन्तिका नगरी उज्जैन मे हमारे द्वारा यहाँ पूजन विधि सम्पन करायी जाती है “
संपर्क सूत्र 8966916574
!!अर्क/कुंभ विवाह!!
यदि लड़के अथवा लड़की की जन्मपत्रिका में सप्तम भाव वा बारवाह भाव क्रूर ग्रहो से ग्रसित हो या शुक्र सूर्य सप्तमेश द्वादशेष शनि आक्रांत हो या मंगलदोष हो अर्थात वर – कन्या की जन्मपत्रिका में 1,2,4,7,8,12 इन भावों में मंगल होतो यह विवाह में विलम्ब और वैवाहिक सुखों में कमी करने योग होता हैं अर्क विवाह वर के लिए ओर कुंभ विवाह कन्या के लिए होता है कुंभ विवाह चन्द्र तारा अनुग्रई हो तब करना चाहिए अर्क विवाह शनिवार रविवार वा हस्त नक्षत्र में करना चाहिये।वर की जन्मपत्रिका में इस प्रकार का दोष होतो सूर्य पुत्री अर्क वृक्ष से विवाह करना अर्क विवाह कहलाता है ! इसे करने से दाम्पत्य जीवन अति सुखमय व्यतीत होता है वैवाहिक विलम्ब भी दूर होता है और इच्छित विवाह भी याने लव मेरिज करने में भी सफलता प्राप्त होती है !!उसी प्रकार कन्या की जन्मपत्रिका में इस प्रकार का दोष होने पर भगवान विष्णु के साथ विवाह कराया जाता है कुंभ विवाह कलश के साथ भगवान विष्णु विराजते हैं ओर उन्ही के साथ कन्या का विवाह किया जाता है कुंभ विवाह घर से बाहर कहि देवालय या तीर्थ नगरी में किया जाता है !! ब्रामण देवता की योग्यता से ही यहाँ कर्म कराये हमारे द्वारा भी यहाँ पूजन कराई जाती है
संपर्क सूत्र 8966916574
!! रुद्राभिषेक !!
देवों के देव महादेव यू तो भगवान शिव एक छोटी सी पूजन से प्रसन्न हो जाते हैं लेकिन शिव आराधना की सबसे महत्वपूर्ण पूजा विधि रुद्राभिषेक को माना गया है जल धारा भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है
साधारण रूप से भगवान शिव का अभिषेक जल या गंगा जल से होता है परन्तु विशेष अवसर पर या विशेष कामनाओं की पूर्ति के लिए दूध दही शहद गन्ने का रस तिल के तेल या अन्य सामग्री द्वरा भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है पर उससे पहले जान ले कि किस सामग्री से किया गया अभिषेक आपकी कौन सी मनोकामनाओ पूरा कर सकता है !सर्व प्रथम सुख शांति के लिये गौ घृत तिल के तेल से अभिषेक कराए ! ग्रह बाधा शांति के लिये दूध शहद या गन्ने के रस से अभिषेक करवाए !!पुत्र प्राप्ति के लिए या दीर्घ आयु प्राप्त करने के लिए गौ दुग्ध से रुद्राभिषेक कराए !! वंश वृद्धि के लिये गौ घृत से अभिष्कात्मक महारुद्राभिषेक कराए !! लक्ष्मी प्राप्ति के लिए गन्ने के रस से भगवान शिव का रूद्राभिषेक कराये !! हमारे द्वरा ये सब प्रकार के अभिषेक महाकाल मंदिर व अन्य स्थानों पे भी करवाए जाते है अभिषेक कराने के लिये
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!!महामृत्युंजय जप !!
महामृत्युंजय मंत्र का जप क्यो क्या जाता है ! शास्त्रो और पुराणों में कहा गया है असाध्य रोगों से मुक्ति पाने वा अकाल मृत्यु बचने के लिए महामृत्युंजय जप कराने का उल्लेख है महामृत्युंजय मंत्र एक अचूक मंत्र है जो महादेव जी को अति प्रिय है भगवान शिव इस मंत्र से बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं इस मंत्र से मनुष्य कोई भी विपदा या परेसानी जैसे कि बीमारी दुर्घटना अनिष्ट ग्रहो के प्रभाव से व मृत्यु को दूर करने और आयु बढ़ाने के लिए सवालाख महामृत्युंजय जप करने का विधान है! जब व्यक्ति जप न कर सके तो महामृत्युंजय किसी विद्वान पंडित से केएन चाहिये आख्यान देवासुर संग्राम के समय शुक्राचार्यजी नेअपनीयज्ञशाला में महामृत्युंजय जप अनुष्ठान करके देवताओं द्वारा मैरे गये रक्षशो को जीवित करने के लिये किया गया था! महामृत्युंजय मंत्र ऊँ हों जूं सः ऊँ भूभुर्वः स्वः ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिम पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊँ स्वः भुवःभूः ऊँ सःजूं हों ऊँ !! अर्थात तीनो दृष्टियो अधिभौतिक आधिदैविक आध्यात्मिक से युक्त रुद्र देव उपासना हम करते हैं वे देव जीवन में सुगन्धि एवं पुष्टि संरक्षक सत्ता का प्रत्यक्ष बोध करने वाले हैं जिस प्रकार फल स्वयं पेड़ से अलग हो जाता है उसी प्रकार हम मृत्यु के भय से मुक्त हो जाते हो किन्तु अमृतत्व से दूर न हो साथ ही यहाँ भवबंधन से मुक्त हो जाएं वहाँ स्वर्गीय आनंद से कम नही है महामृत्युंजय जप अनुष्ठान के लिये संपर्क करे
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!! वास्तु दोष !!
गृह प्रवेश के पूर्व वास्तु शांति करना चाहिए !
अतःवास्तु शांति व गृह प्रवेश के लिए शुभ नक्षत्र वार तिथि श्रेष्ठ होना अनिवार्य है! जानिए गृह शांति पूजन न करवाने से हानिया गृह वास्तु दोष के कारण गृह निर्माता याने (घर का -मालिक) तरह -तरह की विपत्तियों का सामना करना पड़ता है! गृह प्रवेश के पूर्व गृह वास्तु पुजन नही किया जाए तो दुस्वप्न आदि आते हैं अकालमृत्यु अमंगल संकट आदि का भय हमेशा बना रहता है बहुत सारा कर्ज में डूबा रहता है इस कर्ज से जल्दी भी छुटकारा नही मिलता व कर्ज बढ़ता ही जाता है! घर मे हमेशा कलह व अशांति बनि रहती है और उस घर मे हमेशा कोई ना कोई वियक्ति बीमारी से हमेशा ग्रस्ति रहता है !! गृह वास्तु पूजन के लाभ यदि गृहस्वामी याने घर का मालिक गृह शांति पूजन करता है वहाँ सदैव प्रसन्नचित्त रहता है और उसके घर मे हमेशा लक्षमी विराजमान रहती है घर का वातावरण भी हमेशा शांति के अनुकूल रहता है किसी भी प्रकार के रोग या अमंगल अनिष्ट होने की संभावना खत्म हो जाती है घर मे देवी देवताओं का वाश रहता है गृहस्वामी हमेशा खुशाल जीवन व्यतीत करता है वास्तु दोष पूजन से वास्तु देवता व क्षेत्त्रादि देवता प्रसन्न रहते हैं !! वास्तु दोष पुजन के लिए संपर्क करे 8966916574